श्री कृष्णा विश्वविद्यालय, सागर रोड , छतरपुर , मध्य प्रदेश
विद्या सर्वस्व् पूजनम
(Approved By Government of Madhya Pradesh & UGC)
SKU–Hi Tech University
Dr. Brajendra Singh Gautam
Chancellor
Shri Krishna University
Chhatarpur (M.P.)
मेरे प्रिय आत्मीय जन.........
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में वंचित वर्गों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य रखा गया है। निःसंदेह जब तक ग्राम के जन -जन तक शिक्षा का प्रसार नहीं होगा , बापू का सपना अधूरा रहेगा। ज्ञानदीप की उज्जवलता की प्रभा रश्मि हमे ग्रामांचलो तक पहुंचना है।
उच्च शिक्षा राष्ट्र्र का आधार स्तम्भ होती है। युवा राष्ट्र का सर्वस्व होता है। उनके सबल पर राष्ट्र का भविष्य निर्भर होता है। शिक्षा का जीवन स्तर जितना ऊँचा होगा राष्ट्र उतना ही स्वावलम्बी होगा। इसलिये ज्ञानार्जन राष्ट्र की बहुमूल्य सम्पत्ति है। "नहि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह नुते" ज्ञान के सामान पवित्र अन्य कोई विषयवस्तु नहीं है। ज्ञान का केंद्र अच्छी शैक्षणिक संस्थाएँ होती है। शैक्षणिक संस्थाओं
का संचालन भी एक राष्ट्रीय दायित्व है।
इन्ही पवित्र उद्देश्यों के वरण हेतु स्व.श्री बलवीर सिंह गौतम शिक्षा प्रसार एवं जनकल्याण समिति की स्थापना वर्ष 2008 में की गयी तथा समिति के उद्देश्यों के अनुसार समिति के संस्थापको द्वारा विश्व गुरु "(योगेश्वर श्री कृष्ण)" की शिक्षाओं को अपने अन्तःकरण मे धारण कर बुन्देलखण्ड और आस पास के क्षेत्र के छात्र / छात्राओं को ज्ञानगंगा के अवगहन के अनवरत अवसर प्रदान करने का शुभ संकल्प इस समिति के संस्थापको ने लिया है।
प्रारम्भ से ही हमें प्रतिकूल हवाओं के तेज झंझावातों का चारो तरफ से सामना करना पड़ा है। किन्तु आप जैसे शुभेच्छुओं की शुभकामनाएं ही हमारा सम्बल है।
श्री कृष्णा के जयघोष के साथ ही ऊंची आवाज मे यह कहना चाहते हैं कि अंतिम विजय हमारी ही होगी। जब श्री कृष्णा जिनके साथ हों भला वे कभी पराजित हो सकते हैं ? कदापि नही।
इस आस्था के साथ 'समिति ने म.प्र. के अत्यंत पिछड़े क्षेत्र बुन्देलखण्ड के छतरपुर जिले मे श्री कृष्णा विश्वविद्यालय की स्थापना की जो म.प्र. के साथ -साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष मे अपनी नई पहचान स्थापित करेगा। तथा शिक्षा व् रोजगार के क्षेत्र में नए नये अवसर उपलब्ध करायेगा।
यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि बुंदेलखंड के छात्र / छात्राओं को शिक्षा मे नई ऊचाइयों के अवसर सुलभ होंगें जो वर्तमान युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। छात्र / छात्राओं को चाहिए कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं और शिक्षा जगत मे मजबूती से खड़े होने की योग्यता हांसिल करें और ज्ञान की प्रज्वलित मसाल को अपने हांथो मे ऊपर और ऊपर उठाकर आसमान को छूं लें।